
मुंबई. आरबीआई ने इस बार उम्मीदों के विपरीत रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। अर्थशास्त्री 0.25% कटौती की उम्मीद कर रहे थे। आरबीआई ने अकोमोडेटिव नजरिया बरकरार रखा। इसका मतलब ये है कि रेपो रेट में आगे कटौती संभव है।
जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटाया
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटाकर 5% कर दिया है। पिछला अनुमान 6.1% का था। दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में रिटेल महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 4.7-5.1% कर दिया है। पिछली बार 3.5% से 3.7% का अनुमान था।
जीडीपी ग्रोथ 6 साल में सबसे कम, इसलिए रेट कट की उम्मीद थी
माना जा रहा था कि आर्थिक विकास दर को रफ्तार देने के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) रेपो रेट में और कटौती का फैसला ले सकती है। जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 4.5% रह गई। यह पिछले 6 साल में सबसे कम है। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है। इस दर में कमी से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता तो उन पर ग्राहकों के लिए भी लोन की दरें घटाने का दबाव बढ़ता है।
आरबीआई ने रेपो रेट जितना घटाया बैंकों ने ग्राहकों को उतना फायदा नहीं दिया। इसलिए केंद्रीय बैंक ने अक्टूबर से ब्याज दरों को रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जोड़ना अनिवार्य किया था। एसबीआई समेत प्रमुख बैंकों ने ब्याज दरों को रेपो रेट से लिंक करने का विकल्प चुना।
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