
खेल डेस्क. दक्षिण अफ्रीका की रग्बी टीम ने बीते हफ्ते इतिहास रच दिया। जापान में हुए वर्ल्ड कप के फाइनल में इंग्लैंड को 32-12 से हराया और दक्षिण अफ्रीका तीसरी बार रग्बी की वर्ल्ड चैंपियन बनी। टीम के कप्तान 28 साल के सिया कोलिसी ने खिताब जीतने के बाद कहा कि इस जीत से भी ज्यादा खास हैं जीत के आर्किटेक्ट। फ्लैंकर की पोजीशन पर खेलने वाले कोलिसी को इसी साल की शुरुआत में टीम की कप्तानी मिली थी। उन्हें कुल 58 मैच का ही अनुभव है। लेकिन रग्बी वर्ल्ड कप उठाते ही कोलिसी दक्षिण अफ्रीका के इतिहास में रग्बी वर्ल्ड कप जीतने वाले पहले अश्वेत कप्तान बन गए।
रंगभेद का विवादित इतिहास रखने वाले द. अफ्रीका से ये खबर आना बड़ी बात है। कोलिसी की नेतृत्व क्षमता पर मुहर भले ही अब इस खिताबी जीत से लगी हो, लेकिन साथी खिलाड़ी इसके कायल पहले से रहे हैं। फाइनल से पहले कोलिसी ने खिलाड़ियों से कहा था- 'मैदान पर उतरने से पहले हमें बस ये याद रखना है कि अगले 80 मिनट के लिए हम एक हैं। हमसे बेहतर कोई नहीं है। चलो, खेलें।'
अफ्रीका 1995 में पहली बार चैम्पियन बना था
हालांकि कोलिसी को एक बात का मलाल है। दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार 1995 में रग्बी वर्ल्ड कप जीता था। तब कप्तान एलिस पार्क के साथ दुनिया के महान लीडर में से एक और रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले नेल्सन मंडेला मंच पर मौजूद थे। इसके बाद 2007 में अफ्रीका वर्ल्ड चैंपियन बनी। उस वक्त मंडेला की उम्र हो चली थी, फिर भी वे कप्तान जॉन स्मिट के साथ मंच पर पहुंचे। अब सिया कोलिसी के तो आदर्श ही मंडेला हैं, लेकिन द. अफ्रीका का ये पहला अश्वेत विश्व विजेता कप्तान ट्रॉफी लेने पहुंचा तो मंडेला साथ नहीं थे। मंडेला का 2013 में निधन हो चुका है।
कोलिसी के पास किट तक के पैसे नहीं थे
1991 में पोर्ट एलिजाबेथ में पैदा हुए सिया कोलिसी के मां-बाप ने उन्हें दादी के पास छोड़ दिया था, क्योंकि उनके पास कोलिसी को पालने के भी पैसे नहीं थे। कोलिसी अपनी दादी के यहां रहकर ही बड़े हुए, वहीं रग्बी खेलना शुरू किया। कोलिसी के पास किट तक नहीं थी, फिर भी खेल जारी रखा। 12 साल की उम्र में कोलिसी के कोच रहे एंड्रयू हेयडेकिस बताते हैं- 'जब कोलिसी पहली बार ग्राउंड पर आया था तो वो एकलौता खिलाड़ी था, जिसके पास रग्बी मैच में पहनी जाने वाली हाफ पैंट भी नहीं थी। वो बॉक्सिंग शॉर्ट्स पहनकर मैदान पर आया था। लेकिन उसका खेल अद्भुत था।' जब लगा कि कोलिसी का मन अब खेल में लगने लगा है, तभी उनकी मां और दादी का निधन हो गया। ये कोलिसी के लिए बड़ा झटका था। यहां से कोलिसी ने खुद को मानसिक तौर पर मजबूत किया और खेल में जुट गए।
द. अफ्रीका में रग्बी सबसे लोकप्रिय खेल है। जैसे भारत में क्रिकेट। इस बारे में टीम के कोच रेसी एरास्मस कहते हैं- 'हमारे देश में लोगों को रग्बी टीम से काफी उम्मीदें रहती हैं। वे टीम को हर बड़ा टूर्नामेंट जीतते देखना चाहते हैं, इससे कम कुछ भी नहीं। लेकिन टीम को कभी इन अपेक्षाओं का दबाव महसूस नहीं होता। हम इसे उम्मीद के रूप में देखते हैं। अगर हमारी जीत देश को खुशी दे रही है, तो ये काफी अच्छी बात है।'
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2WG9ofl
via IFTTT
No comments:
Post a Comment