
जकार्ता. इंडोनेशिया के सबसे बड़े गैर सरकारी बैंक ने कॉस्ट कटिंग के लिए स्टाफ के पानी पीने की सीमा तय कर दी है। पीटी बैंक सेंट्रल एशिया (बीसीए) में तय सीमा से ज्यादा पानी लेने पर स्टाफ को पैसे देने होंगे। यह फैसला बैंक के वाइस प्रेसिडेंट डायरेक्टर अर्मांड वाह्यूदी हारतोनो ने लिया है। उन्होंने कुछ सप्ताह पहले ही पद संभाला है। अर्मांड कहते हैं, 'मैंने देखा कि कई कर्मचारी पानी की बहुत बर्बादी करते थे। वे अक्सर आधा गिलास पानी पीकर आधा फेंक देते थे। इसलिए हमने पानी के इस्तेमाल को सीमित किया है।'
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक निवेश के लिहाज से बीसीए न सिर्फ इंडोनेशिया, बल्कि पूरी दुनिया का सबसे महंगा बैंक है। इसकी वैल्युएशन 5,000 करोड़ डॉलर से ज्यादा है। इसके बावजूद निवेशक इसमें हिस्सेदारी खरीदने के लिए आतुर रहते हैं। यह बैंक साल 2000 में लिस्टेड हुआ। इसके बाद से सिर्फ साल 2008 में इसके शेयरों में गिरावट देखी गई। इसके अलावा हर साल बैंक के शेयरों में उछाल दर्ज की गई।
बैंक का शेयर डिफेंसिव होल्डिंग
बैंक की सफलता के कई कारणों में कॉस्ट कंट्रोल करने के इसके कई अनोखे उपायों को भी श्रेय दिया जाता है। निवेशकों में यह भरोसा है कि इस बैंक के शेयर मुश्किल वक्त में भी नहीं लुढ़कते हैं। जकार्ता में काम करने वाले इन्वेस्टमेंट डायरेक्टर भरत जोशी कहते हैं कि बीसीए के शेयरों को निवेशक डिफेंसिव होल्डिंग के तौर पर देखते हैं। यानी ऐसे शेयर के तौर पर जिनमें निवेश की राशि डूबने का खतरा सबसे कम होता है। मजबूत मैनेजमेंट और इसकी क्षमता निवेशकों में भरोसा बढ़ाने का काम करते हैं। दुनिया के बड़े बैंकों में बीसीए के स्टॉक की कीमत सबसे ज्यादा है।
2017 के बाद इंडोनपेशिया में ई पेमेंट 3 गुना बढ़ा
इंडोनेशिया दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वहां का बढ़ता मध्यम वर्ग भी बीसीए के बढ़ते प्रभाव के पीछे एक बड़ा कारण है। 2020 तक इंडोनेशिया के अपने इतिहास में सबसे तेजी से विकास करने का अनुमान है। ऐसे में बीसीए के शेयरों में आने वाले दिनों में और भी इजाफा हो सकता है। 2017 में राष्ट्रपति जोको विडोडो ने देश में ई-पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। तब से वहां इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का चलन तीन गुना से ज्यादा बढ़ गया है।
स्टाफ का नेट कोटा फिक्स, मीटिंग रूम के देने होते हैं पैसे
कॉस्ट नियंत्रित रखना हमेशा से बीसीए की रणनीति का हिस्सा रहा है। पानी की सीमा तय करने से पहले कंपनी ने अपने सभी स्टाफ के लिए इंटरनेट कोटा भी तय कर दिया था। यहां तक कि बैंक के सीनियर कर्मचारियों के ऊपर भी ये पाबंदियां लागू होती हैं। मीटिंग कमरे भी मुफ्त में उपलब्ध नहीं होते। जो डिपार्टमेंट मीटिंग कमरे का इस्तेमाल करता है उसे इसके लिए भुगतान करना होता है।
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