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Saturday, February 8, 2020

नए टैक्स सिस्टम में भी कुछ और छूट लानी पड़ सकती हैं, कुछ साल में हम आयकर के एक सरल सिस्टम पर आ जाएंगे

नई दिल्ली. मोदी सरकार के ताजा बजट में आयकर के वैकल्पिक स्लैब की घोषणा हुई है। साथ ही पहली बार एलआईसी के आईपीओ और आयकर चार्टर बनाने की अहम बात भी बजट में है। बजट घोषणाओं, निवेश, विनिवेश, बचत और अर्थव्यवस्था पर वित्त मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल से दैनिक भास्कर के डिप्टी एडीटर धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया ने विशेष बातचीत की

खपत कैसे बढ़ेगी? विशेषतौर पर ग्रामीण क्षेत्र में क्योंकि मनरेगा आदि स्कीम में आवंटन पहले की तुलना में कम हुआ है।
मनरेगा डिमांड आधारित प्रोग्राम है। अगर डिमांड आएगी तो बजट अपने आप बढ़ जाएगा क्योंकि यह गारंटी स्कीम है। बजट में खपत बढ़ाने के कई प्रावधान हैं।

बजट में रोजगार बढ़ाने के लिए बहुत अधिक उपाय नहीं किए गए हैं?

रोजगार बढ़ाने के बहुत सारे प्रावधान किए हैं। मैं अभी सभी पॉइंट्स तो नहीं पढ़ सकता लेकिन जैसे स्टार्टअप्स पर कई घाषेणाएं हैं। कॉर्पोरेट टैक्स घटाने और निजीकरण के बाद भी विस्तार होगा जिससे रोजगार बढ़ेगा।

इनकम टैक्स चार्टर बनाने की बात बजट में कही गई है, इसमें जिम्मेदारी कैसे तय होगी?
अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके जैसे देशों में भी चार्टर या बिल ऑफ टैक्स पेयर राइट्स हैं। भारत में यह अधिकार इनकम टैक्स एक्ट के अंदर होंगे। कानूनी तौर पर मान्य होंगे।

दो तरीके के आयकर टैक्स सिस्टम से तो आयकरदाता और भ्रमित हो गया है?
ऐसा नहीं है। जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में हमने कंपनियों को नए के साथ पुराने टैक्स सिस्टम का विकल्प दिया है, वैसे ही इनकम टैक्स में भी है। दरअसल, यदि किसी निवेशक को अचानक से सुबह उठकर मालूम पड़े कि यह छूट अब नहीं है तो फिर वह क्या करेगा? ऐसे लोगों के लिए पुराना सिस्टम है। नए सिस्टम के भी कुछ अच्छे-बुरे पहलू होंगे वो हमें देखने को मिलेंगे। कुछ सालों के बाद हम एक सिंपल सिस्टम पर आ जाएंगे। नए टैक्स सिस्टम में भी कुछ और छूट लानी पड़ सकती हैं।

क्या आपको लगता है कि बजट के बाद देश की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी?
अर्थव्यवस्था लगातार स्टैबलाइज्ड हो रही है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के जो ताजा आंकड़े आए हैं वह भी इसकी गवाही देते हैं। अब तेजी आएगी।

क्या एलआईसी का आईपीओ लाने का यह सही समय है, जबकि नए टैक्स सिस्टम में बीमा छूट खत्म कर दी गई है?
यह तो और गलत होता कि हम टैक्स बदलाव के पहले आईपीओ लाते। इससे हम पारदर्शी कहां रह पाते। एलआईसी का शेयर निवेशक को खरीदना चाहिए क्योंकि यह अच्छी कंपनी है, अच्छे से काम करती है।

आईपीओ से कितने फंड की उम्मीद है?
यह मैं अभी बता नहीं सकता।

एफपीआई के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड सीमा बढ़ाना, गवर्मेंट सिक्युरिटी की खरीद, सॉवरेन इन्फ्रा फंड जैसे माैके विदेशी निवेशकों को दिए हैं, जबकि घरेलू निवेशकों पर डीडीटी का बोझ डाल दिया?

विदेशी निवेशकों के लिए स्पेशल बॉन्ड आएंगे जो घरेलू निवेशक भी खरीद सकेंगे। कॉरपोरेट बॉन्ड से भी फायदा तो हमारी कंपनियों को ही हो रहा है। डीडीटी हटाने की मांग बहुत दिनों से थी। इसे ऐसे समझें कि यदि मैं छोटा निवेशक हूं और मेरी आय टैक्स के दायरे में नहीं है फिर भी लाभांश पर डीडीटी कट जाता था, जो अब नहीं कट पाएगा।

चालू वित्त वर्ष में विनिवेश 1.05 लाख करोड़ रुपए के शुरुआती लक्ष्य की तुलना में 65 हजार करोड़ होने का अनुमान लगाया है, लेकिन बजट में 2.11 लाख करोड़ का लक्ष्य रखा है? क्या यह पूरा हो पाएगा?
यदि, आप आर्थिक समीक्षा देखेंगे तो उसमें साफ लिखा है कि निजीकरण करना चाहिए। एअर इंडिया के निजीकरण का काम शुरू कर दिया है। बीपीसीएल का भी होगा।


विनिवेश लक्ष्य महत्वाकांक्षी जरूर है, लेकिन यह पूरा होगा।

जीडीपी की नॉमिनल ग्रोथ रेट का लक्ष्य 10% रखा है और कर वृद्धि अनुमान इससे अधिक दर का है? ऐसे में क्या कर संग्रह का लक्ष्य पूरा हो पाएगा?


जीडीपी की 10% की ग्रोथ महत्वाकांक्षी नहीं है। चार फीसदी की महंगाई और छह फीसदी की ग्रोथ अधिक नहीं है। ग्रोथ से थोड़ा ज्यादा टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य सामान्य तौर पर रखा जाता है।

अर्थव्यवस्था रिकवर हो रही है तो टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य आसानी से पूरा हो सकता है।



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वित्त मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल।


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