
नई दिल्ली. सायरस मिस्त्री मामले में टाटा सन्स की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के आसार हैं। यह मामला चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच में लिस्ट है। टाटा सन्स ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के 18 दिसंबर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। ट्रिब्यूनल ने 2016 में सायरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाने के फैसले को गलत बताते हुए बहाली के आदेश दिए थे।
सायरस मिस्त्री भी कैविएट दायर कर चुके
टाटा सन्स अंतरिम राहत के तौर पर ट्रिब्यूनल के फैसले पर रोक चाहेगा। इस मामले में सायरस मिस्त्री पहले ही कैविएट दायर कर चुके हैं। यानी उनका पक्ष जाने बिना कोर्ट कोई आदेश जारी नहीं करेगा। मिस्त्री की ओर से वकील सी ए सुंदरम, अरविंद दातार, श्याम दीवान और सोमशेखर सुदर्शन पैरवी करेंगे। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक टाटा सन्स की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी, हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी बहस में शामिल हो सकते हैं।
टाटा सन्स की दलील- ट्रिब्यूनल का फैसला कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी के लिए नुकसानदायक
टाटा सन्स ने अक्टूबर 2016 में मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था। कंपनी के बोर्ड का कहना था कि मिस्त्री पर भरोसा नहीं रहा। मिस्त्री ने फैसले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में चुनौती दी थी, लेकिन हार गए। इसके बाद अपीलेट ट्रिब्यूनल पहुंचे थे। अपीलेट ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री के पक्ष में फैसला दिया। टाटा सन्स की दलील है कि अपीलेट ट्रिब्यूनल का फैसला कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के अधिकारों के लिए नुकसानदायक है।
टाटा सन्स के बोर्ड में सीट सुनिश्चित करना चाहूंगा: मिस्त्री
मिस्त्री कह चुके हैं कि वे टाटा सन्स के चेयरमैन या टीसीएस, टाटा टेली या टाटा इंडस्ट्रीज के निदेशक बनने के इच्छुक नहीं हैं। लेकिन, माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के नाते अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सभी विकल्प अपनाएंगे। इनमें टाटा सन्स के बोर्ड में जगह पाना भी शामिल है, पिछले 30 साल से यह इतिहास रहा है। टाटा सन्स के कॉर्पोरेट गवर्नेंस को बेहतर बनाना और पारदर्शिता लाना भी प्राथमिकता है।
मिस्त्री में लीडरशिप का गुण नहीं था, इससे टाटा ग्रुप की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची: रतन टाटा
मिस्त्री परिवार के पास टाटा सन्स के 18.4% शेयर हैं। टाटा सन्स टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। इसके 66% शेयर टाटा ट्रस्ट के पास हैं। टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा हैं। अपीलेट ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री को हटाने के मामले में रतन टाटा को भी दोषी ठहराया था। इस फैसले को रतन टाटा ने भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि ट्रिब्यूनल ने बिना तथ्यों या कानूनी आधार के फैसला दिया। मिस्त्री में लीडरशिप का गुण नहीं था, इस वजह से टाटा ग्रुप की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।
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