
खेल डेस्क. 12 साल की तीरंदाज शिवांगिनी गोहेन के गले से शुक्रवार को डॉक्टरों ने तीर निकाला। साढ़े तीन घंटे तक सर्जरी चली। खिलाड़ी को देखरेख के लिए आईसीयू में रखा गया है, जहां हालत स्थिर बनी हुई है। डिब्रूगढ़ साई सेंटर में अभ्यास करने वाली शिवांगिनी को 8 जनवरी को अभ्यास के दौरान तीर लगा था। गुवाहाटी से 450 दूर छबुआ की रहने वाली शिवांगिनी के तीर को स्थानीय डॉक्टर नहीं निकाल सके थे। इसके बाद उन्हें गुरुवार को एयरलिफ्ट करके दिल्ली एम्स लाया गया था। खिलाड़ी की मां जीना ने हालांकि इस घटना को एक्सीडेंट माना और कहा कि उन्हें किसी से शिकायत नहीं है। साई पहले ही खिलाड़ी के इलाज का पूरा खर्च उठाने की बात कह चुका है।
खिलाड़ी की मां जीना ने कहा, ‘‘वे तीन दिन से सो नहीं पाई थी। लेकिन वे सफल सर्जरी से खुश हैं। हालांकि अभी भी शिवांगिनी कुछ नहीं खा रही है। डॉक्टरों ने कहा है कि शनिवार से वह कुछ खाने लगेगी।’’ जीना की दो बेटी हैं। शिवांगिनी पांचवीं क्लास में है। छोटी बहन पांच साल की है। पिता डिब्रूगढ़ में दुकान चलाते हैं। उन्होंने बताया कि बेटी को तीर लगना एक्सीडेंट है। उन्हें किसी से शिकायत नहीं है। शिवांगिनी साई सेंटर की खिलाड़ी नहीं है। आस-पास मैदान नहीं होने के कारण वह अभ्यास के लिए वहां जाती है। वह ढाई साल से इसी सेंटर पर अभ्यास कर रही है। 8 जनवरी को मैं शिवांगिनी को मैदान पर छोड़कर चली गई थी। वहां पर अन्य खिलाड़ियों के माता-पिता मौजूद थे।
खिलाड़ियों के माता-पिता प्रैक्टिस के दौरान मैदान में रहेंगे
डिब्रूगढ़ में साई सेंटर की तीरंदाजी कोच मर्सी शिमरे ने कहा कि यह एक डे बोर्डिंग सेंटर है। आस-पास मैदान नहीं होने के कारण बाहर के खिलाड़ियों को अनुमति दी गई है। उनकी ड्यूटी खेलो इंडिया गेम्स में लगी थी। सेंटर के कुछ खिलाड़ियों का चयन खेलो इंडिया में हुआ है। ऐेसे में उनके माता-पिता ने प्रैक्टिस के लिए परमिशन मांगी थी। कोच ने कहा कि खिलाड़ियों के माता-पिता ने कहा कि था कि प्रैक्टिस के दौरान वे मैदान पर रहेंगे।
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