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Saturday, January 11, 2020

17 साल की शूटिंग चैम्पियन मनु भाकर बोलीं- हारना भी जीतने की तरह जरूरी है, हार से ही जीतने की एनर्जी मिलती है

पानीपत। 2019 में शूटिंग के चार वर्ल्ड कप हुए। 10 मीटर मिक्स्ड टीम इवेंट में चारों बार भारत ने स्वर्ण पदक जीता। स्वर्ण जीतने वाली इस टीम में देश के दो युवा शूटर सौरभ चौधरी और मनु भाकर थे। मनु अभी 17 साल की हैं। वो इस साल होने वाले टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी हैं। साथ ही दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में बीए ऑनर्स कर रही हैं। सुबह दो घंटे पढ़ाई करती हैं। फिर पूरा दिन शूटिंग रेंज में गुजरता है। 2019 में मिक्स्ड इवेंट में वो सफल रहीं, लेकिन सिंगल्स में उन्हें कुछ दिल तोड़ने वाली हार भी झेलनी पड़ी। म्यूनिख विश्व कप में वह एक नंबर पर चल रही थीं। अचानक उनकी पिस्टल टूटी और गोल्ड जीतने का सपना भी टूट गया। लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा है। मनु कहती हैं, हारना भी जीतने की तरह जरूरी है। हार से ही जीतने की एनर्जी मिलती है। शूटर मनु भाकर से भास्कर की विशेष बातचीत..

सवालः आप पहले मार्शल आर्ट्स, बॉक्सिंग, टेनिस खेलती थीं, राष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी भी मिली, फिर निशानेबाज कैसे बनीं?
मनुः
शुरू से खिलाड़ी बनने की इच्छा थी। बहुत से स्पोर्टस ट्राई किए। खेलते-खेलते शूटिंग के बारे में पता चला। मम्मी-पापा ने इसे भी ट्राई करने के लिए कहा तो मैंने शूटिंग शुरू की। काफी अच्छा खेल है, जितनी मेहनत करते हो उतनी नजर आती है। इसी वजह से फिर इसे चुना।

सवाल : अगर टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह मिली तो तैयारी कितनी अलग होगी?
मनुः
ओलंपिक की टीम जब भी घोषित हो जाएगी। मैं अपनी ट्रेनिंग तो यही रखने वाली हूं, जो कर रही हूं। बस थोड़ा सा टाइम और कॉन्सट्रेशन पर काम करना है।

सवाल: पिछले साल म्यूनिख विश्व कप में आपने 10 मीटर में ओलिंपिक कोटा हासिल किया। 25 मीटर के फाइनल में पिस्टल टूट गई। इस तरह की घटनाएं क्या सिखाती हैं?
मनुः
वहां मैं बहुत अच्छा शूट कर रही थी। शुरू से लेकर आखिर तक मैं पहले नंबर पर चल रही थी। मेरे चांस थे कोटा और मेडल जीतने के, अचानक मेरी पिस्टल के बोल्ट या चैंबर में से कुछ टूट गया, इस वजह से शॉट फायर नहीं हो पाया। इस वजह से मैं बाहर हो गई। मेरे लिए बहुत हार्ट ब्रेकिंग था, लेकिन फिर मैंने जल्दी ही रिकवर कर लिया।

सवाल : मनु भाकर, साक्षी मलिक, फोगाट बहनों को खेल में मिली कामयाबी के बाद हरियाणा में बेटियों के नजरिए में क्या फर्क आया?

मनुः पहले की अपेक्षा अब बहुत सी लड़कियां खेलों में आ रही हैं। उनके परिवार वाले भी बहुत प्रोत्साहित करते हैं। उनके अंदर भी बहुत कॉन्फिडेंस आया है। काफी पॉजिटिविटी आई है सोसाइटी में, इससे काफी सारा पॉजिटिव इंप्रेशन जा रहा है।

सवाल: पिछले साल 10 मीटर मिक्सड टीम (एयर पिस्टल) इवेंट में आपने 4 वर्ल्ड कप गोल्ड जीते, व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा में तैयारियों के लिहाज से कितना फर्क है?
मनुः
मिक्सड डबल में काफी अच्छा साल रहा। मैं इंडिविजुएल ज्यादा फोकस करती हूं, क्योंकि आप इंडिविजुअल स्कोर बराबर रखने की कोशिश करते हो। इस वजह से दोनों ने इंडिविजुएल फोकस किया तो ऐसे नतीजे आए।

सवालः पढ़ाई और कड़ी प्रैक्टिस के बीच तालमेल कैसे बनाते हो?
मनुः
पढ़ाई और खेल के बीच बैलेंस करना बहुत मुश्किल हो रहा है लेकिन फिर भी दोनों करती हूं। खेल के शेड्यूल के बाद भी दो घंटे हर रोज पढ़ाई करती हूं।

सवालः दिनभर का शेड्यूल कैसा होता है?
मनुः
सुबह 6 बजे उठ जाती हूं। इसके बाद 7 बजे तक तैयार होकर 9 बजे तक पढ़ाई करती हूं। इसके बाद शूटिंग रेंज पहुंचती हूं और प्रैक्टिस शुरू करती हूं। दोपहर में लंच ब्रेक होता है। शाम तक वहीं प्रेक्टिस करती हूं।

सवालः किसी भी मैच के दौरान दिमाग में क्या चल रहा होता है? कैसे फोकस रखते हैं?
मनुः
दिमाग में जो विचार आते हैं, उन्हें रोक नहीं सकते हैं। खेल के दौरान दिमाग में काफी सारी चीजें चल रही होती हैं, हम उन्हें रोक नहीं पाते। लेकिन उस दौरान किसी और चीज के बारे में सोचकर उससे बाहर निकलने कोशिश करती हूं। क्योंकि दिमाग का काम ही सोचना है। अगर खेल के बारे में ही सोचती हूं तो दिमाग पर प्रेशर आ जाता है, इसलिए बहुत सी चीज न सोचकर किसी एक चीज के बारे में सोचती हूं।

सवालः सोशल मीडिया पर कितना टाइम देते हो?
मनुः
सोशल मीडिया तो मैं बहुत कम यूज करती हूं। हफ्ते में एक-दो बार यदि किसी पर पोस्ट डालना हो तो चलाती हूं। सोशल मीडिया फॉलोअर्स को देखकर अच्छा लगता है कि इतने लोग फोलो करते हैं, मुझे सपोर्ट करते हैं, आइडियल मानते हैं। मैं पूरी कोशिश करती हूं कि अपने साथ-साथ देश को भी गर्व महसूस कराऊं।

सवालः युवा दिवस पर क्या संदेश देना चाहेंगी?
मनुः
खेल, पढ़ाई या फिर किसी अन्य एक्टिविटी में युवा जितनी मेहनत करेंगे उसमें उतना निखरते जाते हैं। किसी भी फिल्ड में जितनी मेहनत करोगे, सफलता जरुर मिलेगी। बस उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।



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17-year-old shooting champion Manu Bhaker said - losing is also important like winning, defeat only gives energy to win


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