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Saturday, December 21, 2019

एक्टिंग प्रोफेशन के जरिए आप दूसरों की जिंदगी भी जी सकते हैं: दीपिका पादुकोण

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बॉलीवुड डेस्क. अपनी आगामी फिल्म 'छपाक' के प्रमोशन में व्यस्त एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने भास्कर से बातचीत की। इस दौरान अभिनेत्री ने अपनी जिंदगी के पहलुओं को सामने रखते हुए के पाठकों से दिल की बातें साझा की। उन्होंने एसिड अटैक पीड़ितों के दर्द के बारे में बताया। इसके अलावा उन्होंने अवसाद से निकलने के तरीके बताए। गौरतलब है कि एक्ट्रेस कुछ समय पहले डिप्रेशन में चली गईं थीं।

हम जो भी हैं, अपने चेहरे से कहीं ज्यादा हैं
मैंने एक्टिंग के जिस प्रोफेशन को चुना है उसकी खासियत है कि हम दूसरों की जिंदगी भी जी सकते हैं। मेरी एक आगामी फिल्म में मैं एक एसिड अटैक सरवाइवर लक्ष्मी के रोल में हूं। उस किरदार से जब मैं रूबरू हुई तो मुझे लगा कि मैं उसे जानती हूं। चेहरे से नहीं बल्कि उसकी इमोशंस से खुद को एक दम जुड़ा हुआ महसूस किया।

उन्होंने कहा किसच है, हम किसी का चेहरा देखकर मान लेते हैं कि वो हमसे अलग हैं और उन्हें खुद से दूर कर देते हैं। उसके लिए जजमेंटल हो जाते हैं। बिना यह जाने कि वो दर्द के किस सफर से गुजर कर आए हैं। उनको समाज में शामिल करना, समान मौके देना और उनके प्रति अपना नजरिया बदलकर उन्हें अपनाना जरूरी है। समाज इसे एक डिसेबिलिटी की तरह देखता है और हम भी उन्हें देखने में झिझकते हैं, जबकि उनकी काबिलियत हमारे जैसी ही है। मेरी इस फिल्म से आपको यही बताने की कोशिश रहेगी कि हम जो भी हैं वो अपने चेहरे से कहीं ज्यादा हैं।

जिंदगी में सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट
दीपिका ने बताया कि 2014 में जब मुझे डिप्रेशन हुआ, वो मेरी जिंदगी में बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट था। क्योंकि उस फेज से मुझे अहसास हुआ कि फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ मेंटल फिटनेस भी बहुत जरूरी है। उससे पहले मैं फिजिकल फिटनेस पर बहुत फोकस करती थी। बाद में समझ पाई कि जब तक हमारा दिमाग और मन ठीक से काम नहीं करता तब हम जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते। यहां तक कि अच्छी नींद लेना या खुशनुमा सुबह देख पाना भी आपके बस में नहीं रहता। मेंटल हेल्थ पर फोकस करने के बाद आज मैं लोगों के बारे में कम जजमेंटल होने की कोशिश करती हूं। अलग लोगं और अलग विचारों को एक्सेप्ट कर पाना अब मेरे लिए ज्यादा आसान है। डिप्रेशन के बाद मैं पहले से ज्यादा संवेदनशील हो गई हूं। शरीर के साथ साथ मन का ख्याल रखना,उसका सही पोषण करना बहुत जरूरी है।

(जैसा प्रेरणा साहनी को बताया)

अच्छाई हमेशा कायम रहती है
मेरे पिता कहते हैं कि आप भले ही जिंदगी में जो भी चाहते हो अचीव कर लो, लेकिन एक नेक और अच्छा इंसान होना बहुत जरूरी है। लोग आपको इसी रूप में याद रखें तो आप सफल हो। मैंने खुद को अब तक इसी तरह से कंडक्ट किया है। प्रोफेशनल सफलता आती जाती रहती है, लेकिन अच्छाई कायम रहती है।



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