बॉलीवुड डेस्क.जिस तरह से नियमित तौर पर पीएम मोदी बॉलीवुड सेलेब्स से मिल रहे थे, उससे बॉलीवुड को उम्मीदें थीं कि इस आम बजट में फिल्मोद्योग की लंबित मांगें पूरी होंगी। मगर वैसी घोषणाएं नहीं हुईं। इसके बावजूद सरकारी नाराजगी के डर से कुछेक को छोड़कर इंडस्ट्री के ज्यादातर बड़े प्रोड्यूसर्स-फायनेंसर्स बजट को लेकर अपनी कोई प्रतिक्रिया देने से कतराते ही दिखे।
- प्रोड्यूसर्स की सबसे बड़ी संस्था इम्पा के चेयरमैन टीपी अग्रवाल और प्रोड्यूसर मुकेश भट्ट ने जरूर खुलकर निराशा जाहिर की है। टीपी अग्रवाल ने कहा, बजट में बॉलीवुड को कुछ नहीं दिया गया है। हम लगातार सरकार से थिएटरों की संख्या बढ़ाने के लिए जरूरी संसाधन की मांग करते रहे हैं पर कुछ नहीं हुआ। चाइना में सिनेमाघरों की तादाद 64 हजार तक हो गई है, पर इंडिया में सब मिलाकर 12 हजार भी नहीं है।
- सिंगल थिएटरों की हालत दुरुस्त करने के लिए हम वहां टैक्स बेनेफिट की मांग करते रहे हैं। उन्हें मल्टीप्लेक्सेज में कन्वर्ट करने की मांगें करते रहे हैं। उस पर भी बजट में गौर नहीं फरमाया गया है। मुकेश भट्ट ने निराशा में इतना भर कहा कि इस बार भी बजट बॉलीवुड के लिए ढाक के तीन पात साबित हुआ है। कुछ भी एक्साइटिंग अनाउंस नहीं हुआ है।
- मोदी सरकार और बॉलीवुड बिरादरी के बीच बातों और मुलाकातों का सेतु बनने वाले महावीर जैन ने कहा, ‘पायरेसी की रोकथाम और बाकी तकनीकी मुद्दे तो बजट से पहले ही एड्रेस हुए थे। यह बड़ी राहत तो है। जो आर्थिक सुधार के कदम उठाए गए हैं, उनसे मध्यवर्गीय परिवारों की क्षमता बढ़ेगी। वे फिर मनोरंजन पर स्वाभाविक तौर पर खर्च करेंगे। ग्रामीण और रीजनल मार्केट्स को यह बजट बूस्ट करेगा तो वहां आर्थिक खुशहाली आने से फिल्मोद्योग को खुद ब खुद लाभ मिलेगा।’
- कुछ बड़ी बॉलीवुड हस्तियों ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि बजट में मिला कुछ नहीं है, लिहाजा खुशी जाहिर नहीं कर सकते और गम जाहिर कर नहीं सकते, वरना सरकार का कहर झेलना होगा।
ये मांगे रहीं उपेक्षित :
- फिल्म निर्माण में काम आने वाली मशीनरियों पर 15 से 28 फीसदी तक एक्साइज ड्यूटी हटाने की मांग।
- टिकटों पर जीएसटी की दरें 18 से 12 पर्सेंट करने की मांग।
- जीएसटी के लिए प्रोड्यूसर, डिस्ट्रीब्यूटर और एग्जीबिटर्स के लिए क्लेम की व्यवस्था।
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