यूटिलिटी डेस्क. बिजनेस जगत में फसले कई बार रिजल्ट देखकर लिए जाते हैं। रिजल्ट हासिल करने के पीछे की प्रक्रिया पर ज्यादा फोकस नहीं होता। ज्यादातर निवेशकों ने भी कमोबेश यही तरीका अपना रखा है। वे मुनाफा, रिजल्ट आदि पर ज्यादा ध्यान देते हैं। हालांकि यह तरीका तेजी से अव्यवहारिक होता जा रहा है। कोई भी बिजनेस समाज और पर्यावरण पर अपना प्रभाव छोड़ता है। देर सवेर यह बात नोटिस भी होती है।
कुछ उदाहरण पर ध्यान दीजिए
- दिल्ली में प्रदूषण लोगों को काफी कष्ट पहुंचाया। इसलिए ऑटो सेक्टर सहित इनमें योगदान करने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है।
- प्रदूषण फैलाने वाली कुछ इंडस्ट्री को समाज के विरोध के कारण बंद करना पड़ा।
- स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लोग ऑर्गेनिक और आयुर्वेद से जुड़े प्रोडक्ट की ओर रुख कर रहे हैं।
- एक्सट्रीम मौसम की वजह से बाढ़ जैसी आपदाएं बढ़ीं और जानमाल का बहुत नुकसान हुआ। लिहाजा फाइनेंस और इश्योरेंस कंपनियों की लागत काफी बढ़ गई।
असमानता दूर करने वाली कंपनियां बढ़ेंगी
पर्यावरण में बदलाव और असमानता जैसे मुद्दे काफी बड़े हो गए। जो कंपनियां ऐसे में माहौल में बेहतर उम्मीद दिखाएगी ज्यादा विकास करेंगी। जाहिर है ऐसे में वे निवेशकों को भी बेहतर रिटर्न देंगी। जो
कंपनियां ऐसा नहीं करेंगी वे मुश्किल में आ जाएंगी।
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